Sunday 19 January 2014

पिया मिलन

मैं तैनूं किन्ना प्यार करां , ए गल तेरी सोच तो परे












बेपरवाह इश्क़ की  उड़ान भरते , 
आ पहुँची  उस मुकाम 
जहाँ तुझसे ही मेरी सुबह 
,तुझ से ही मेरी शाम 
तेरा हाथ थामे उन चार फेरों में
 कर लिए चारों धाम !
 शिला की अहिल्लया में डाली जान 
तुम हो मेरे वो राम !
ज़हर के प्याले को बनाया अमृत ,
मुझ मीरा को हो वो शाम !!
पिया मिलन से बन गयी खास 
जो थी एक लड़की आम !!

 तेरे  लिए जी जाऊँ, इतनी सांसों की रब मौहलत देवे
संग तेरे उड़ सकूँ  इतनी परों में मेरे ताकत देवे !
तुझे हो कोई तकलीफ तो कैसे जरे मुनीम
हर मुश्किल राह मैं पार कर जाऊँ , तुझे कोई रोक ना पावे
तेरी हर उड़ान ऊँची हो ,तू हर जगह शौहरत पावे !!
बन के तेरी उड़ाने हमसफ़र तुझ संग पिऊँगी हर जाम
पिया मिलन से बन गयी खास 
जो थी एक लड़की आम !!

तू मेरा साहिब, मैं तेरी गुलाम
रब से माँगूँ तेरी खुशियाँ  तमाम
तेरे बिना जीना  एक पल भी
है मेरे लिए हराम !
मुझ निमानी को अपनाया
जिसका था कौड़ी जितना दाम !!
पिया मिलन से बन गयी खास 
जो थी एक लड़की आम !!

मुझे भूल गया  जग
यार में दिखता सच्चा रब !
मैं भी तेरी दिल भी तेरा
तुझे दिए हक़ सब !!
तेरी राह की  ओर ही
इस कमली के उठते है पब (पैर)
मेरे लवों में सुबह शाम बस तेरा ही नाम
पिया मिलन से बन गयी खास 
जो थी एक लड़की आम !!

ना मांग मेरी कोई ओर,तू छाये चारों और !
हमारे रूहानी रिश्ते ने चलाया एक नया दौर
जहां न है रीति रिवाज़ों का कोई ज़ोर
घंटों मैं बोलूँ ,तू न होता कभी बोर
उड़ रहे है हम थामे रूहानी इश्क़ की  डोर !!
यार की बाँहों में निकले दम, तो पाऊँ आराम
पिया मिलन से बन गयी खास 
जो थी एक लड़की आम !!

पिया मिलन की रात आती है मुझे याद
आयी सुहानी घड़ी वो सदियों बाद !
था आँखों में नशा प्यार का
अम्बर से भी बरसा नूर !
रूहानी इश्क़ के सरूर में
तन तप रहे थे जैसे तंदूर
रब ने बनाई हमारी ऐसी जोड़ी
बधाई देती बहिश्ता दी हूर
तुझे अपने अंदर समा के
हो गए एक अब रहे न हम दो

हमारा मिलन तो ऐसे जैसे राधा शाम !!