Thursday, 9 July 2015














ਇਸਦਾ ਕਿਸ ਨੂੰ ਪਤਾ ਕੀ ਹੈ ਖੁਦਾ 
ਪਰ ਮੈਂ ਕੌਣ ਹਾਂ, ਗਲ ਏਹੇ ਹੈ ਜੁਦਾ !
ਆਪਣੀ ਮੈਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਅੰਦਰੋਂ ਮੁਕਾ 
ਏਕ ਵਾਰ ਤਾਂ ਤੂੰ ਏਹੇ ਸਬਬ ਬਣਾ !
ਅੱਖੀ ਡਿਠਾ ਨਜ਼ਾਰਾ ਵੇਖੇਂਗਾ 
ਸੱਚੀ ਅੱਗ ਇਸ਼ਕ਼ ਦੀ ਸੇਕੇਂਗਾ !
ਜੋ ਯਾਰ ਦੀਵਾਨੇ ਬਣ ਬੈਂਦੇ 
ਲੜ ਯਾਰ ਦੇ ਨਈ ਓ ਲੈਂਦੇ 
ਰਾਹ ਪਤਾ ਨਹੀਂ ਇਸ ਮੰਜਰ ਦੀ 
ਗਲ ਤਾਂ ਸਾਰੀ ਅੰਦਰ ਦੀ 
ਨਾ ਮਸਜਿਦ ਦੀ, ਨਾ ਮੰਦਰ ਦੀ 

Friday, 10 October 2014

करवा

ਸਾਡਾ ਵਖਰਾ ਕਰਵਾ
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
ना लगाई है हाथों पे मेहंदी , न किये सौलह श्रृंगार
ना सजाई है करवे की थाली, न गड़वे में गंगा की धार !
लोग कहते है मुझसे साजन, कैसा है तेरा करवे का त्यौहार !!


मैं कहती हूँ उनसे :-


हाथों की मेहंदी तो कुछ पलों को महके
मेरी रूह में समाई मेरे यार की ख़ुश्बू है !
किससे माँगू मैं पिया की लंबी उम्र की दुआ
जब खुद खुदा ही मेरे रूबरू है !!


इस करवे  पे मेरे ख़ुदा मुझे दुआ दे :


मुझे बनना तेरी हूर नहीं हुनर है
लाल नहीं, ओढ़ी धानी चुनर है !
रंग में तेरे रंग के बनना तेरा ग़रूर है
फिर एक दिन क्या हर दिन मेरा करवा
जो मैं नहीं बस तेरा ही छाया सरूर है !!
फिर भी 365 दिन में एक दिन का व्रत
माफ़ करना साबजी, हुआ मुझसे ये कसूर है !!!

Wednesday, 23 July 2014

रूहानी प्यार का राज़





 










जब तू गाये  बन जाऊँ राग ख़माज
जो तू लिखे बन जाऊँ  तेरे अल्फ़ाज़
दुनिया को बताऊँ  रूहानी प्यार का राज़
तू मेरा खुदा, तेरी इबादत मेरी नमाज़

इस रूहानी प्यार में राँझे ने पहना जोगिया लिबाज़
मीरा ने दी गिरिधर को गली गली आवाज़
सोनी बनी  कच्चे घड़े की तैराकी की जांबाज़
दुनिया को बताऊँ  रूहानी प्यार का राज़
जहाँ ना होता है दुनियावी रस्मों का रिवाज़
ना आता ढंग से मुझे कोई काम काज
बुल्लेशाह यार दी कमली हो गई
भले रूठ जाए जग आज
कैसे करू शुकराना मेरे ख़ुदा यार का
जो इस कमली के सर का बना है सरताज
दुनिया को बताऊँ  रूहानी प्यार का राज़
कि जब मिट जाए सब राज़
तो है बस सच्चे इश्क़ की आगाज़

Sunday, 19 January 2014

पिया मिलन

मैं तैनूं किन्ना प्यार करां , ए गल तेरी सोच तो परे












बेपरवाह इश्क़ की  उड़ान भरते , 
आ पहुँची  उस मुकाम 
जहाँ तुझसे ही मेरी सुबह 
,तुझ से ही मेरी शाम 
तेरा हाथ थामे उन चार फेरों में
 कर लिए चारों धाम !
 शिला की अहिल्लया में डाली जान 
तुम हो मेरे वो राम !
ज़हर के प्याले को बनाया अमृत ,
मुझ मीरा को हो वो शाम !!
पिया मिलन से बन गयी खास 
जो थी एक लड़की आम !!

 तेरे  लिए जी जाऊँ, इतनी सांसों की रब मौहलत देवे
संग तेरे उड़ सकूँ  इतनी परों में मेरे ताकत देवे !
तुझे हो कोई तकलीफ तो कैसे जरे मुनीम
हर मुश्किल राह मैं पार कर जाऊँ , तुझे कोई रोक ना पावे
तेरी हर उड़ान ऊँची हो ,तू हर जगह शौहरत पावे !!
बन के तेरी उड़ाने हमसफ़र तुझ संग पिऊँगी हर जाम
पिया मिलन से बन गयी खास 
जो थी एक लड़की आम !!

तू मेरा साहिब, मैं तेरी गुलाम
रब से माँगूँ तेरी खुशियाँ  तमाम
तेरे बिना जीना  एक पल भी
है मेरे लिए हराम !
मुझ निमानी को अपनाया
जिसका था कौड़ी जितना दाम !!
पिया मिलन से बन गयी खास 
जो थी एक लड़की आम !!

मुझे भूल गया  जग
यार में दिखता सच्चा रब !
मैं भी तेरी दिल भी तेरा
तुझे दिए हक़ सब !!
तेरी राह की  ओर ही
इस कमली के उठते है पब (पैर)
मेरे लवों में सुबह शाम बस तेरा ही नाम
पिया मिलन से बन गयी खास 
जो थी एक लड़की आम !!

ना मांग मेरी कोई ओर,तू छाये चारों और !
हमारे रूहानी रिश्ते ने चलाया एक नया दौर
जहां न है रीति रिवाज़ों का कोई ज़ोर
घंटों मैं बोलूँ ,तू न होता कभी बोर
उड़ रहे है हम थामे रूहानी इश्क़ की  डोर !!
यार की बाँहों में निकले दम, तो पाऊँ आराम
पिया मिलन से बन गयी खास 
जो थी एक लड़की आम !!

पिया मिलन की रात आती है मुझे याद
आयी सुहानी घड़ी वो सदियों बाद !
था आँखों में नशा प्यार का
अम्बर से भी बरसा नूर !
रूहानी इश्क़ के सरूर में
तन तप रहे थे जैसे तंदूर
रब ने बनाई हमारी ऐसी जोड़ी
बधाई देती बहिश्ता दी हूर
तुझे अपने अंदर समा के
हो गए एक अब रहे न हम दो

हमारा मिलन तो ऐसे जैसे राधा शाम !!

Monday, 25 November 2013

मैं हो गई तू



 
 
 
 
 
 
 
 
 


तू तू करदी तू हो गई
मुझ में रही ना मैं !
जब अपना आप गवाया
तो जाना मैं राँझे विच
राँझा मैं विच
मैं हो गई बस तू !!

तेरा एक वार दा दीदार
हज हो जान मेरे हज़ार !
न थकती ये निग़ाहें
भले देखूँ तुझे लख वार
इन अखियों में तुझे बसा के
मैं हो गई बस तू !!

मेरे यार जितना सोहना
कोई और नहीं होना !
इस कमली को उस सोहने ने
दिल में दिया बिछौना !!
तन मस्जिद पे जो ओढी
तेरी हरी चादर
मैं हो गई बस तू !!

ना मंदिर मस्जिद ना गिरज़ा गुरुदवारा
यार में दिखता सच्चे रब का नज़ारा !
ज़मीन से फ़लक तक चमके तेरा ही सितारा
बिन तेरे सजदे जीना एक पल भी न गवारा !!
जब खुदी मिटा के मेरे खुदा ने मुझे सवारा
तो मैं हो गई बस तू !!!


Friday, 30 August 2013

बहुत याद आते हो तुम !

NAAN UNNAI KATHALIKARAEN



 


चलती हवाओं के साथ
बहते पानी के साथ
उड़ते पंछियों के साथ
होती बारिशों के साथ
बहुत याद आते हो तुम !


तेरी ही दी हुई उड़ान के साथ
यूँ लिखी हर कविता के साथ
हर शब्द, हर बोली के साथ
बाऊजी की कवाली के साथ
बहुत याद आते हो तुम !


राहों में चलती बनी परछाई के साथ
पेड़ो की छावों के साथ
कभी गिरती कभी उभरती उन  पलों के साथ
तुम्हारे ख्यालों में गुज़रते हर लम्हें के साथ
बहुत याद आते हो तुम !


ट्रेन के छुक छुक आवाज़ के साथ
नोवेल  की कहानियों के साथ
तेरी कमली की गंवारों जैसी हंसी के साथ
दबी आवाज़ में रोती अंखियों के साथ
उनमें  भरे तेरे सपनो की उड़ान के साथ
बहुत याद आते हो तुम !

तेरे प्यार के चुन्नर के हरे रंगों के साथ
यूँ बिखरी बिखरी   जुल्फों के साथ
भीड़ में छुपी तन्हाई के साथ
तारे गिन गिन बीतती रातों के साथ
बहुत याद आते हो तुम !


तुझे लिखे हर पैगाम के साथ
चढ़ते दिन और ढलती शाम के साथ
बगिया में खिले फूल और आम के साथ
जब देखूं राधा को शाम के साथ
बुलाते है लोग हीर को जब रांझे के नाम के साथ
बहुत याद आते हो तुम !


बिन कहें, मुझ तक पहुंचती तेरी हर आवाज़ के साथ
दरगाह में चढ़ाई, तेरे नाम की हर नियाज़ के साथ
रूहानी प्रीत की रीत निभाते रीति  रिवाज़ के साथ
बहुत याद आते हो तुम !


दिल की हर धड़कन के साथ
हर सजदे, नमाज़, दुआ के साथ
दुनियावी बंधन का नहीं
रूहानी एहसासों की गांठ के साथ
आती जाती हर साँस के साथ
बहुत याद आते हो तुम !


झूठ है सब जो कहती हूँ बहुत याद आते हो तुम !
सच तो ये है कि याद तो तब करूँ,
जो इस कमली को कभी भूल पाते हो तुम
न मुझे याद आते हो तुम
क्यूंकि मैं हो चुकी हो तुम !!

Friday, 12 July 2013

तेरी ज़रूरत है !!






 
















तेरी आँखों  का पानी खाली  कर
अपनी अखियों का  सावन  बरसाना  है !
तेरे हर गम को हर कर, अपना आप  संवारना है
खुद को  तुझ में समाने के  लिए मुझे  तेरी ज़रूरत है !!

तुझे चाहना ही मेरी इबादत
तेरा प्यार ही मेरी रूह की ताकत !
तेरी चौखट पे सजदा ही मेरी शानों शौकत
हर पल तेरी  नमाज़ पढ़ने से है मुझको राहत !!
यार की हज और ख़ुद को  पाक  बनाने के लिए
मेरे यार - खुदा मुझे तेरी ज़रूरत है !!

तेरा मेरा रूहानी इश्क़, साफ़ है शीशे जैसा !
मैं तुम से  हो गए हम, फर्क रहा फिर कैसा !!
कह  पाती हूँ  हर  बात तुम्हें, कुछ भी ऐसा वैसा !
है मेरा कोई रूप, है कोई रंग ढंग  !!
हो गई हूँ बस तुझ जैसी जो प्रीत लगाई तुझ संग !
हर कदम तेरे साथ चलने के लिए मुझे तेरी ज़रूरत है !!

मेरी हर सांस तेरी हर सांस में घुल गई है !
तेरी जो होई,मेरी मैं मुझसे अलग हो गई है !!
अपना हर पल, हर सांस सौंप दी है तुम्हे !
हर लम्हा  तेरे लिए जी  जाऊँ
जीने के लिए इन साँसों में मुझे तेरी ज़रूरत है !!

तेरा हर दर्द अपना कर मैं, ख़ुशी से भर जाऊँ
कितनी भी मुश्किल राहें हो, ना देखूँ तूफान, ना घडी
बस तेरे एहसास से हर मुश्किल राह पार कर जाऊँ !
तू बन गया है मेरी  सच्ची दुआ
अपनी दुआ के लिए मुझे तेरी ज़रूरत है !!
जिस माँ से ना मैं कभी मिली
उनका एहसास तेरी रूह की खुशबू से है !
जिनसे दो बातें भी ना कर पाई
उनका ज़िक्र तेरी बातों में है !!
जिन्हें हम करते है बहुत प्यार
वो हर पल तेरी यादों में है !!
उस माँ का आशीष पाने के लिए मुझे तेरी ज़रूरत है !!!
ना परवाह है मुझे समाज की
ना बांधे हम कोई झूठा  बंधन !
 मेरे मन में तू ही  तू
तेरा आशियाना हुआ मेरा मन आँगन !
तेरे बिना ना भाए मुझको ये सावन
मेरी रग रग तेरा नाम जपे, बन जोगी की जोगन
अपना जोग निभाने के लिए मुझे तेरी ज़रूरत है !!
दुनियावी कोई पहचान नहीं
अपने इश्क़ की मिसाल बनानी है !
चाहे कोई भी बात हो, बस तेरा साथ हो
तुझ से ही अपनी मंज़िल  जानी है !
ना छोडूँ तेरा साथ कभी
ना मुख मोडूं तुझसे कभी
इस प्यार का दीया हर जगह रोशन हो
खुद को तुझ में रोशन करने के लिए मुझे  तेरी ज़रूरत है !!
रूहानी इश्क़ के आकाश में उड़ते चले
उड़ते उड़ते गगन के उस पार उड़ जाए !
जहाँ से ना आना हो फिर यहाँ दोबारा
जो ग़र  हो गया फिर से यहाँ का घेरा
फिर घूमेंगे बन बंजारन और बंजारा !
बन एक उड़ जायेंगे रस्ते  नेक
कह दूँगी उस रब से  मुझे तो
हर जन्म बस तेरी ज़रूरत है !!
जो आया  कभी ऐसा वक़्त
ना रही तुझ को मेरी ज़रूरत
हस के वार दूँगी ये ज़िन्दगी
क्यूँकि तुझ से ही पाई अपनी अदा
ये तन है अमानत तेरी
ये मन है सौगात तेरी
सब तेरा तुझ को सौंप के
मुझ का ना मेरी ज़रूरत है !!