Friday, 10 October 2014

करवा

ਸਾਡਾ ਵਖਰਾ ਕਰਵਾ
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
ना लगाई है हाथों पे मेहंदी , न किये सौलह श्रृंगार
ना सजाई है करवे की थाली, न गड़वे में गंगा की धार !
लोग कहते है मुझसे साजन, कैसा है तेरा करवे का त्यौहार !!


मैं कहती हूँ उनसे :-


हाथों की मेहंदी तो कुछ पलों को महके
मेरी रूह में समाई मेरे यार की ख़ुश्बू है !
किससे माँगू मैं पिया की लंबी उम्र की दुआ
जब खुद खुदा ही मेरे रूबरू है !!


इस करवे  पे मेरे ख़ुदा मुझे दुआ दे :


मुझे बनना तेरी हूर नहीं हुनर है
लाल नहीं, ओढ़ी धानी चुनर है !
रंग में तेरे रंग के बनना तेरा ग़रूर है
फिर एक दिन क्या हर दिन मेरा करवा
जो मैं नहीं बस तेरा ही छाया सरूर है !!
फिर भी 365 दिन में एक दिन का व्रत
माफ़ करना साबजी, हुआ मुझसे ये कसूर है !!!

Wednesday, 23 July 2014

रूहानी प्यार का राज़





 










जब तू गाये  बन जाऊँ राग ख़माज
जो तू लिखे बन जाऊँ  तेरे अल्फ़ाज़
दुनिया को बताऊँ  रूहानी प्यार का राज़
तू मेरा खुदा, तेरी इबादत मेरी नमाज़

इस रूहानी प्यार में राँझे ने पहना जोगिया लिबाज़
मीरा ने दी गिरिधर को गली गली आवाज़
सोनी बनी  कच्चे घड़े की तैराकी की जांबाज़
दुनिया को बताऊँ  रूहानी प्यार का राज़
जहाँ ना होता है दुनियावी रस्मों का रिवाज़
ना आता ढंग से मुझे कोई काम काज
बुल्लेशाह यार दी कमली हो गई
भले रूठ जाए जग आज
कैसे करू शुकराना मेरे ख़ुदा यार का
जो इस कमली के सर का बना है सरताज
दुनिया को बताऊँ  रूहानी प्यार का राज़
कि जब मिट जाए सब राज़
तो है बस सच्चे इश्क़ की आगाज़

Sunday, 19 January 2014

पिया मिलन

मैं तैनूं किन्ना प्यार करां , ए गल तेरी सोच तो परे












बेपरवाह इश्क़ की  उड़ान भरते , 
आ पहुँची  उस मुकाम 
जहाँ तुझसे ही मेरी सुबह 
,तुझ से ही मेरी शाम 
तेरा हाथ थामे उन चार फेरों में
 कर लिए चारों धाम !
 शिला की अहिल्लया में डाली जान 
तुम हो मेरे वो राम !
ज़हर के प्याले को बनाया अमृत ,
मुझ मीरा को हो वो शाम !!
पिया मिलन से बन गयी खास 
जो थी एक लड़की आम !!

 तेरे  लिए जी जाऊँ, इतनी सांसों की रब मौहलत देवे
संग तेरे उड़ सकूँ  इतनी परों में मेरे ताकत देवे !
तुझे हो कोई तकलीफ तो कैसे जरे मुनीम
हर मुश्किल राह मैं पार कर जाऊँ , तुझे कोई रोक ना पावे
तेरी हर उड़ान ऊँची हो ,तू हर जगह शौहरत पावे !!
बन के तेरी उड़ाने हमसफ़र तुझ संग पिऊँगी हर जाम
पिया मिलन से बन गयी खास 
जो थी एक लड़की आम !!

तू मेरा साहिब, मैं तेरी गुलाम
रब से माँगूँ तेरी खुशियाँ  तमाम
तेरे बिना जीना  एक पल भी
है मेरे लिए हराम !
मुझ निमानी को अपनाया
जिसका था कौड़ी जितना दाम !!
पिया मिलन से बन गयी खास 
जो थी एक लड़की आम !!

मुझे भूल गया  जग
यार में दिखता सच्चा रब !
मैं भी तेरी दिल भी तेरा
तुझे दिए हक़ सब !!
तेरी राह की  ओर ही
इस कमली के उठते है पब (पैर)
मेरे लवों में सुबह शाम बस तेरा ही नाम
पिया मिलन से बन गयी खास 
जो थी एक लड़की आम !!

ना मांग मेरी कोई ओर,तू छाये चारों और !
हमारे रूहानी रिश्ते ने चलाया एक नया दौर
जहां न है रीति रिवाज़ों का कोई ज़ोर
घंटों मैं बोलूँ ,तू न होता कभी बोर
उड़ रहे है हम थामे रूहानी इश्क़ की  डोर !!
यार की बाँहों में निकले दम, तो पाऊँ आराम
पिया मिलन से बन गयी खास 
जो थी एक लड़की आम !!

पिया मिलन की रात आती है मुझे याद
आयी सुहानी घड़ी वो सदियों बाद !
था आँखों में नशा प्यार का
अम्बर से भी बरसा नूर !
रूहानी इश्क़ के सरूर में
तन तप रहे थे जैसे तंदूर
रब ने बनाई हमारी ऐसी जोड़ी
बधाई देती बहिश्ता दी हूर
तुझे अपने अंदर समा के
हो गए एक अब रहे न हम दो

हमारा मिलन तो ऐसे जैसे राधा शाम !!