Friday 12 July 2013

तेरी ज़रूरत है !!






 
















तेरी आँखों  का पानी खाली  कर
अपनी अखियों का  सावन  बरसाना  है !
तेरे हर गम को हर कर, अपना आप  संवारना है
खुद को  तुझ में समाने के  लिए मुझे  तेरी ज़रूरत है !!

तुझे चाहना ही मेरी इबादत
तेरा प्यार ही मेरी रूह की ताकत !
तेरी चौखट पे सजदा ही मेरी शानों शौकत
हर पल तेरी  नमाज़ पढ़ने से है मुझको राहत !!
यार की हज और ख़ुद को  पाक  बनाने के लिए
मेरे यार - खुदा मुझे तेरी ज़रूरत है !!

तेरा मेरा रूहानी इश्क़, साफ़ है शीशे जैसा !
मैं तुम से  हो गए हम, फर्क रहा फिर कैसा !!
कह  पाती हूँ  हर  बात तुम्हें, कुछ भी ऐसा वैसा !
है मेरा कोई रूप, है कोई रंग ढंग  !!
हो गई हूँ बस तुझ जैसी जो प्रीत लगाई तुझ संग !
हर कदम तेरे साथ चलने के लिए मुझे तेरी ज़रूरत है !!

मेरी हर सांस तेरी हर सांस में घुल गई है !
तेरी जो होई,मेरी मैं मुझसे अलग हो गई है !!
अपना हर पल, हर सांस सौंप दी है तुम्हे !
हर लम्हा  तेरे लिए जी  जाऊँ
जीने के लिए इन साँसों में मुझे तेरी ज़रूरत है !!

तेरा हर दर्द अपना कर मैं, ख़ुशी से भर जाऊँ
कितनी भी मुश्किल राहें हो, ना देखूँ तूफान, ना घडी
बस तेरे एहसास से हर मुश्किल राह पार कर जाऊँ !
तू बन गया है मेरी  सच्ची दुआ
अपनी दुआ के लिए मुझे तेरी ज़रूरत है !!
जिस माँ से ना मैं कभी मिली
उनका एहसास तेरी रूह की खुशबू से है !
जिनसे दो बातें भी ना कर पाई
उनका ज़िक्र तेरी बातों में है !!
जिन्हें हम करते है बहुत प्यार
वो हर पल तेरी यादों में है !!
उस माँ का आशीष पाने के लिए मुझे तेरी ज़रूरत है !!!
ना परवाह है मुझे समाज की
ना बांधे हम कोई झूठा  बंधन !
 मेरे मन में तू ही  तू
तेरा आशियाना हुआ मेरा मन आँगन !
तेरे बिना ना भाए मुझको ये सावन
मेरी रग रग तेरा नाम जपे, बन जोगी की जोगन
अपना जोग निभाने के लिए मुझे तेरी ज़रूरत है !!
दुनियावी कोई पहचान नहीं
अपने इश्क़ की मिसाल बनानी है !
चाहे कोई भी बात हो, बस तेरा साथ हो
तुझ से ही अपनी मंज़िल  जानी है !
ना छोडूँ तेरा साथ कभी
ना मुख मोडूं तुझसे कभी
इस प्यार का दीया हर जगह रोशन हो
खुद को तुझ में रोशन करने के लिए मुझे  तेरी ज़रूरत है !!
रूहानी इश्क़ के आकाश में उड़ते चले
उड़ते उड़ते गगन के उस पार उड़ जाए !
जहाँ से ना आना हो फिर यहाँ दोबारा
जो ग़र  हो गया फिर से यहाँ का घेरा
फिर घूमेंगे बन बंजारन और बंजारा !
बन एक उड़ जायेंगे रस्ते  नेक
कह दूँगी उस रब से  मुझे तो
हर जन्म बस तेरी ज़रूरत है !!
जो आया  कभी ऐसा वक़्त
ना रही तुझ को मेरी ज़रूरत
हस के वार दूँगी ये ज़िन्दगी
क्यूँकि तुझ से ही पाई अपनी अदा
ये तन है अमानत तेरी
ये मन है सौगात तेरी
सब तेरा तुझ को सौंप के
मुझ का ना मेरी ज़रूरत है !!