Monday 25 November 2013

मैं हो गई तू



 
 
 
 
 
 
 
 
 


तू तू करदी तू हो गई
मुझ में रही ना मैं !
जब अपना आप गवाया
तो जाना मैं राँझे विच
राँझा मैं विच
मैं हो गई बस तू !!

तेरा एक वार दा दीदार
हज हो जान मेरे हज़ार !
न थकती ये निग़ाहें
भले देखूँ तुझे लख वार
इन अखियों में तुझे बसा के
मैं हो गई बस तू !!

मेरे यार जितना सोहना
कोई और नहीं होना !
इस कमली को उस सोहने ने
दिल में दिया बिछौना !!
तन मस्जिद पे जो ओढी
तेरी हरी चादर
मैं हो गई बस तू !!

ना मंदिर मस्जिद ना गिरज़ा गुरुदवारा
यार में दिखता सच्चे रब का नज़ारा !
ज़मीन से फ़लक तक चमके तेरा ही सितारा
बिन तेरे सजदे जीना एक पल भी न गवारा !!
जब खुदी मिटा के मेरे खुदा ने मुझे सवारा
तो मैं हो गई बस तू !!!


Friday 30 August 2013

बहुत याद आते हो तुम !

NAAN UNNAI KATHALIKARAEN



 


चलती हवाओं के साथ
बहते पानी के साथ
उड़ते पंछियों के साथ
होती बारिशों के साथ
बहुत याद आते हो तुम !


तेरी ही दी हुई उड़ान के साथ
यूँ लिखी हर कविता के साथ
हर शब्द, हर बोली के साथ
बाऊजी की कवाली के साथ
बहुत याद आते हो तुम !


राहों में चलती बनी परछाई के साथ
पेड़ो की छावों के साथ
कभी गिरती कभी उभरती उन  पलों के साथ
तुम्हारे ख्यालों में गुज़रते हर लम्हें के साथ
बहुत याद आते हो तुम !


ट्रेन के छुक छुक आवाज़ के साथ
नोवेल  की कहानियों के साथ
तेरी कमली की गंवारों जैसी हंसी के साथ
दबी आवाज़ में रोती अंखियों के साथ
उनमें  भरे तेरे सपनो की उड़ान के साथ
बहुत याद आते हो तुम !

तेरे प्यार के चुन्नर के हरे रंगों के साथ
यूँ बिखरी बिखरी   जुल्फों के साथ
भीड़ में छुपी तन्हाई के साथ
तारे गिन गिन बीतती रातों के साथ
बहुत याद आते हो तुम !


तुझे लिखे हर पैगाम के साथ
चढ़ते दिन और ढलती शाम के साथ
बगिया में खिले फूल और आम के साथ
जब देखूं राधा को शाम के साथ
बुलाते है लोग हीर को जब रांझे के नाम के साथ
बहुत याद आते हो तुम !


बिन कहें, मुझ तक पहुंचती तेरी हर आवाज़ के साथ
दरगाह में चढ़ाई, तेरे नाम की हर नियाज़ के साथ
रूहानी प्रीत की रीत निभाते रीति  रिवाज़ के साथ
बहुत याद आते हो तुम !


दिल की हर धड़कन के साथ
हर सजदे, नमाज़, दुआ के साथ
दुनियावी बंधन का नहीं
रूहानी एहसासों की गांठ के साथ
आती जाती हर साँस के साथ
बहुत याद आते हो तुम !


झूठ है सब जो कहती हूँ बहुत याद आते हो तुम !
सच तो ये है कि याद तो तब करूँ,
जो इस कमली को कभी भूल पाते हो तुम
न मुझे याद आते हो तुम
क्यूंकि मैं हो चुकी हो तुम !!

Friday 12 July 2013

तेरी ज़रूरत है !!






 
















तेरी आँखों  का पानी खाली  कर
अपनी अखियों का  सावन  बरसाना  है !
तेरे हर गम को हर कर, अपना आप  संवारना है
खुद को  तुझ में समाने के  लिए मुझे  तेरी ज़रूरत है !!

तुझे चाहना ही मेरी इबादत
तेरा प्यार ही मेरी रूह की ताकत !
तेरी चौखट पे सजदा ही मेरी शानों शौकत
हर पल तेरी  नमाज़ पढ़ने से है मुझको राहत !!
यार की हज और ख़ुद को  पाक  बनाने के लिए
मेरे यार - खुदा मुझे तेरी ज़रूरत है !!

तेरा मेरा रूहानी इश्क़, साफ़ है शीशे जैसा !
मैं तुम से  हो गए हम, फर्क रहा फिर कैसा !!
कह  पाती हूँ  हर  बात तुम्हें, कुछ भी ऐसा वैसा !
है मेरा कोई रूप, है कोई रंग ढंग  !!
हो गई हूँ बस तुझ जैसी जो प्रीत लगाई तुझ संग !
हर कदम तेरे साथ चलने के लिए मुझे तेरी ज़रूरत है !!

मेरी हर सांस तेरी हर सांस में घुल गई है !
तेरी जो होई,मेरी मैं मुझसे अलग हो गई है !!
अपना हर पल, हर सांस सौंप दी है तुम्हे !
हर लम्हा  तेरे लिए जी  जाऊँ
जीने के लिए इन साँसों में मुझे तेरी ज़रूरत है !!

तेरा हर दर्द अपना कर मैं, ख़ुशी से भर जाऊँ
कितनी भी मुश्किल राहें हो, ना देखूँ तूफान, ना घडी
बस तेरे एहसास से हर मुश्किल राह पार कर जाऊँ !
तू बन गया है मेरी  सच्ची दुआ
अपनी दुआ के लिए मुझे तेरी ज़रूरत है !!
जिस माँ से ना मैं कभी मिली
उनका एहसास तेरी रूह की खुशबू से है !
जिनसे दो बातें भी ना कर पाई
उनका ज़िक्र तेरी बातों में है !!
जिन्हें हम करते है बहुत प्यार
वो हर पल तेरी यादों में है !!
उस माँ का आशीष पाने के लिए मुझे तेरी ज़रूरत है !!!
ना परवाह है मुझे समाज की
ना बांधे हम कोई झूठा  बंधन !
 मेरे मन में तू ही  तू
तेरा आशियाना हुआ मेरा मन आँगन !
तेरे बिना ना भाए मुझको ये सावन
मेरी रग रग तेरा नाम जपे, बन जोगी की जोगन
अपना जोग निभाने के लिए मुझे तेरी ज़रूरत है !!
दुनियावी कोई पहचान नहीं
अपने इश्क़ की मिसाल बनानी है !
चाहे कोई भी बात हो, बस तेरा साथ हो
तुझ से ही अपनी मंज़िल  जानी है !
ना छोडूँ तेरा साथ कभी
ना मुख मोडूं तुझसे कभी
इस प्यार का दीया हर जगह रोशन हो
खुद को तुझ में रोशन करने के लिए मुझे  तेरी ज़रूरत है !!
रूहानी इश्क़ के आकाश में उड़ते चले
उड़ते उड़ते गगन के उस पार उड़ जाए !
जहाँ से ना आना हो फिर यहाँ दोबारा
जो ग़र  हो गया फिर से यहाँ का घेरा
फिर घूमेंगे बन बंजारन और बंजारा !
बन एक उड़ जायेंगे रस्ते  नेक
कह दूँगी उस रब से  मुझे तो
हर जन्म बस तेरी ज़रूरत है !!
जो आया  कभी ऐसा वक़्त
ना रही तुझ को मेरी ज़रूरत
हस के वार दूँगी ये ज़िन्दगी
क्यूँकि तुझ से ही पाई अपनी अदा
ये तन है अमानत तेरी
ये मन है सौगात तेरी
सब तेरा तुझ को सौंप के
मुझ का ना मेरी ज़रूरत है !!
 







Thursday 20 June 2013

वो नौ दिन और अखियाँ चार, हुआ तेरह ओ सोहणे यार !!



जी करदा ए  तैनूं वेखीं जावा, तेरे विचों रब दिसदा !
 





















रब के सबब से आये वो भाग भरे नौ दिन
कुछ और न सुझा इन अखियों  को जब हो गई ये चार !
बन गया सच्चा सौदा तेरह, न कुछ बाकि मेरा
बस तू ही तू ओ सोहणे  यार !!


कुछ तो कमली थी मैं पहले से
और बाँवरी हुई पिया मिलन की ख़ुशी से !
तेरी महज़ एक नज़र से खिल उठती हूँ बारम्बार
दर दर न दुर दुर होना, सर झुकता है तेरे ही दरबार !!
मैं कहीं नहीं, बस तू ही तू ओ सोहणे यार !!

खूबसूरत नज़ारे न मुझ को भाए
जो तेरी नज़र से देखूं दुनिया
तो हर तरफ हरा भरा नज़र आए !
न पता था रास्ते और मंज़िल का
अब लगता है उन नौ दिनों में
अखियाँ चार और मंजिल एक कर आए !!

या कहो मंज़ूर ए खुदा  यहीं है
जानता  है खुदा  जाना है तुमको अब मीलों दूर
बनाया ऐसा सबब की ये हीर राँझा
नौ दिनों में नौ साल जी  जाए !!


माना कि सब कुछ न कर सकती हूँ तेरे लिए
पर जो कुछ भी कर सकूँ
क्यूँ छोडूं वो करना  मेरे लिए !
ये हीर तो बस राँझे के ही काबिल
बन सस्सी चलूँ गरम रेत पे
पहुँचाने तुझ को तेरे साहिल !

न कोई मौल है रूहानी यारी का
इस सौदे में यार को मिलने की खातिर !
सोहनी ने कच्चे घड़े से की तैराकी,
साहिबा हुई मिरज़े लई बागी 
मैंने अपनी हर साँस सौंप दी है तुम्हें
अब तेरी तू जाने न कुछ बाकि मेरा !
बस तू ही तू ओ सोहणे यार !!


बस चुके तो मुझ में तुम इस कदर
होने लगा है मुझे मेरे रूप का आभास !
जैसे की अब ये तो है अमानत तेरी
संभाल कर रखूँ इन अखियों को
जिन्होंने करना है बस यार का दीदार !!
बस तू ही तू ओ सोहणे यार !!

ये रूह से रूह के मिलने का एहसास है जो उठी ऐसे तरंग
हर रंग में घुल गया है बस एक दूजे का रंग !
न मीलों की दूरी, न कोई तांत्रिक मंतर कर पाए भंग
धूप हो या छाँव बन बंजारन घूमूं बंजारे संग !!
न जरुरत है शब्दों से कुछ कहने की
बिन बोले भी समझे प्यार की भाषा ये अखियाँ चार
बस तू ही तू ओ सोहणे यार !!

बस एक तमन्ना है मेरी, उम्र का चौथा दिन जब आए
तेरे मेरे प्यार के आशियाने में  हर दिन होली
और हर रात दिवाली हम मनाए !
नए नए पकवान बना मैं
 अपने हाथों से तुझे  खिलाऊँ !
छाज से भरा हुआ गिलास
आधा खुद पीऊँ और
 आधा तुम्हें पिलाऊँ !!
तुम्हारी लिखी कवितायों को
तुम्हारे ही चश्मे से पढ़ जाऊं !!
और क्या कहूँ, तू ही मेरा खुदा  तू ही मेरा संसार
अब तेरी तू जाने न कुछ बाकि मेरा !
बस तू ही तू ओ सोहणे यार !!





Monday 20 May 2013

सजाया तेरा हरा भरा ख्याब !!



 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
तेरे मेरा, मेरा तेरा
ये योग कैसा हो गया !
सारी सखियाँ पूछे मुझ से
मुझ कमली को ये रोग कैसा हो गया !!

जब से हुई ये अखियाँ चार
है गुस्ताखी इन अखियों की
न जाने कब सजा लिया, तेरा हरा भरा ख्याब !
आज हुआ ये सपना साकार
मेरा रोम रोम  हर्षाया, चल उड़ चलिए गगन के उस पार !!


इस हरे भरे ख्याब के पूरा होने की
मांगी थी उस रब से मैंने दुआएँ !
शुक्रगुज़ार हूँ अपने रब की
जिसने मेरी आँखों में तेरे ख्याब सजाएं !!


देना मेरे यार को जीवन का हर मोड़ और भी खूबसूरत
ए मेरे परवर दिगार! न है बाकि इस दिल की कोई हसरत !
यही मेरा रोज़ा ,पाक इश्के की कमाई ही मेरी सच्ची दौलत !!

तुम्हें लगता है, तुम हो रहे हो मीलों मुझ से दूर
मैं तो हूँ तेरी परछाई, बस गयी हूँ बन तेरी आँखों का नूर !
तुझे खोने का डर नहीं, तुझमें खोने के एहसास का
रहता  इस कमली को  हर  दम हर पल इक  सरुर !!


तो क्यूँ मैं पालूँ, दूरी का डर
जब दिल में है तेरा
प्यार रूहानी भरपूर !
इस दिल का है बस  इतना सा कसूर
तेरी याद में रहता हर वक़्त चूरों चूर !!


है अपना तो जन्म जन्म का साथ
तेरी खैर मांगने को ही
मेरे उठते  ये दोनों हाथ !
बन हवा मैं तो हर पल तेरे संग चली
जब जब तू याद करें मैं आ जाऊँगी  तेरी गली !!
पर सजाने को तेरा ये हरा भरा ख्याब न मैं कभी  टली !!!

तुम सुनते रहों, मैं कहती चलूँ
तुम हसाते रहो, मैं हँसती चलूँ !
तेरे मेरे प्यार के आशियाने को
तेरे हरे भरे ख्याबों से सजाती चलूँ !!


जो तू मुझे कभी भूल भी गया
फिर भी तेरी ही ख्याब
इन  सांसों  की बना तस्बीह ,
इस जिस्म को बना मसीती
और यार को बना काबा
अपनी आखरी साँस तक
बस तेरी ही नमाज़ अदा कर सजाती चलूँ  !!






Tuesday 30 April 2013

तेरे मेरे प्यार का अपना आशियाना !!
















मेरी ज़िन्दगी का मक्सद तुमसे है मैंने जाना !
जिस्म तो मिट्टी में मिल जाना, रूहानी एहसास
तेरा कई जनमों से है पुराना !!
इस अनोखे रिश्ते को रूह से है निभाना
साथ रहने का नहीं,  साथ चलने का
आ बनाए तेरे मेरे प्यार का अपना  आशियाना !!

मैं निमानी कमली ने य़ार को ख़ुदा माना !
यार ही मेरा दीन इमान, उसपे खुद को हार जाना !!
सदके जायूं  अपने यार पे,
जिसने मुझ कमली को अपने दिल मे दिया ठिकाना !
गवारा नहीं मुझे एक पल भी तुझ से दूर जाना
इस अनोखे रिश्ते को रूह से है निभाना
साथ रहने का नहीं,  साथ चलने का
आ बनाए तेरे मेरे प्यार का अपना  आशियाना !!

तोड़  के सारे सांसारिक बंधन
लाँघ आई   कुल की मर्यादा ,
तन  और मन से हो गई तेरी 
अब कुछ भी कहता रहे ये ज़माना
इस अनोखे रिश्ते को रूह से है निभाना
साथ रहने का नहीं,  साथ चलने का
आ बनाए तेरे मेरे प्यार का अपना  आशियाना !!



लोग पूछते मुझसे कब से इक दूजे को जाना
कैसे बतायूं  ये रूहानी रिश्ता जैसे राधा और कान्हा !
बिन बोले भी समझे, जो मन चाहे समझाना 
बन बांसुरी चाहूँ मैं तो  कान्हा के होंठों की हो जाना !!
इस अनोखे रिश्ते को रूह से है निभाना
साथ रहने का नहीं,  साथ चलने का
आ बनाए तेरे मेरे प्यार का अपना  आशियाना !!


पहले पहले प्यार का  पहला पहला एहसास  है
जिस्म तो महज़ इक ज़रिया है,
रूह से रूह के मिलन का एहसास सब से खास है
तेरा ये प्यार मुझे रब के करीब ले जाता है
क्यूंकि तेरा एहसास उसकी रहमत का विश्वास है !
तुझमें  खोने का एहसास ही सच्ची ख़ुशी का एहसास है !!
मेरी नस नस में तेरी रूह की खुशबू का बस जाना !!
तेरे प्यार के हरे रंग में  मेरा यूँ  खिल खिलाना
 तेरे प्यार के एहसास से मेरे मन का गुदगुदाना
मैं मैं ना रही, तू तू न रहे, 
आ बनाए तेरे मेरे प्यार का अपना  आशियाना !!


मैं हूँ तुम्हारी, तुम्हारा ही मेरा जीवन
तुझसे ही सम्पूर्ण, तू ही मेरा दर्पण !
तेरी याद में बरसे इन आँखों का सांवन !
तेरे महज़ ज़िक्र से खुशियाँ आए  मन आँगन !!
इक दूजे के हो गए हम, जब रूह में रूह का हुआ समाना !!
मैं मैं ना रही, तू तू न रहे, 
आ बनाए तेरे मेरे प्यार का अपना  आशियाना !!


 याद  आता है हर पल, जब कहते हो  कितनी पागल हो तुम !
लगता है ऐसे जैसे  इस  पागल को , कितना चाहते हो तुम !!
नहीं पता कितनी सांसे है, पर चाहूँ आखरी दम तेरी बाँहों में आना !!
जुबान से नहीं, ख़ामोश निगाहों का तेरा मुझ से कुछ कह जाना 
इक दूजे के हो गए हम, जब रूह में रूह का हुआ समाना !!
मैं मैं ना रही, तू तू न रहे, 
आ बनाए तेरे मेरे प्यार का अपना  आशियाना !!

Tuesday 26 March 2013

अब की होली ..... मैं जोगन तेरी होली !!




















तेरे नाम की चुन्नर मैंने ओढ़ी है
लेकर दिल में प्यार तेरा
सारी दुनिया मैंने छोड़ी है !!
हूँ तेरी सांसों के  हिसाब की मुनीम
ना कसम मैंने ये कभी तोड़ी है !
होली होली अब की  होली
बन अपने जोगी की जोगन
तुझ संग प्रीत की डोरी जोड़ी है !

जब से तेरे करीब आई,
तब से है मैंने ये जाना !
तेरे एहसास में दिल मेरा
हर पल गाए खुशियों का तराना !!
मेरे जोगी तेरा क्या कहना !
पाकर रूहानी प्यार तेरा
 अब ना है कुछ पाना !
होली होली अब की होली
बन अपने जोगी की जोगन
सबसे अनोखा रिश्ता है निभाना !!

बेहद प्यार है तुमसे कैसे तुम्हें बताऊँ !
तेरे करीब आई तो हो गई समर्पण
अब ना है कोई शिकायत ,ना कोई शिकवा
ज़िन्दगी हुई कितनी हसीन,ना मैं जता पाऊँ !!
होली होली अब की होली
बन अपने जोगी की जोगन
हर पल अपना तेरे लिए जी जाऊँ !


जो तू चमके, तो मैं और भी चमकूँ !
ऐसी तेरी प्रेम दीवानी हो गई
जोगन मस्तानी, सुध बुध  खो गई !!
इस रूहानी इश्क ने, यूँ भिगोई मेरी चोली
होली होलीअब  की  होली
करना  है  तुझ  को  हो  ली !!
होली  होली  बन  होली (holy)
अब की होली
मैं जोगन  तेरी  होली !!

Thursday 21 February 2013

रूहानी प्यार का अटूट विश्वास

सच्ची दुआ खुदा  से  एक पंछी की 






















इक  छोटी सी  पंछी को  रहता  हर पल रूहानी यारी का गुमान !
अपनी यारी  और यार की सरदारी पर है उसको सच्चा अभिमान !
एक दिन कुछ शिकारी आ घेरे , छोटी सी पंछी को आन !
देते ताने बोले रह  गई तू अकेली ,  होगी तू  परेशान !
उड़  चला तेरा दोस्त परिंदा, भरली और चिड़िया संग उड़ान !!

 वो बोली शिकारी से तुम क्या   जानो   मेरी यारी का  इमान !
उसकी  ख़ुशी के लिए मर  मिटना ही है मेरा सम्मान !
मैं तो उसके  रंग में रंगी , फिर  कैसे हो  सकती हूँ  बियाबान !!
आज़ादी की डोर ही तो करे रूहानी रिश्ते को बलवान !!
उसकी हर उड़ान में है मेरी  अपनी  शान !!


उसके हर  सपने को  बना अपना मैंने सच्ची  ख़ुशी  पाई !
 भरने के लिए उसके जीवन में खुशियाँ ,
  गगन के उस  पार मैं उड़ान  भर आई !!
जब खटखटाया मैंने खुदा का दरवाज़ा ,
"क्या  चाहिए" की आवाज़ आई!
मैं बोली मेरे  दोस्त की खुशियों की देती हूँ  दुहाई !!
बोले खुदा  सागर से भी गहरी है  तेरी  प्रीत की  गहराई !!
लेजा सारी खुशियाँ,, तेरे इस प्रीत से मेरी अखियाँ भर आई
और  मैं सब अपने दोस्त परिंदे के लिए  भर झोली ले  आई !
फिर चाहे वो  किसी के संग भी भरे  अपनी उड़ान

 उसकी हर उड़ान में है मेरी  अपनी  शान !!

उसकी मेरी यारी तो है , है रूह की रिश्तेदारी
हंसने और हंसाने की उसको मैंने ली है ज़िम्मेदारी !!
कच्चे धागे का पक्का रिश्ता, न तोड़   पायेगा  कोई
सुन ले ओ शिकारी ! चाहे घूम ले दुनिया सारी !!
खुद की एक पहचान बनाये ले के अम्बर की उडारी !!
फिर क्यूँ सोचूं  उसको कैद में रखने के बारे
जिसकी हो चुकी हूँ मैं सारी  की सारी !!
हम तो है बस रूह के साथी
जैसे राधा और मुरारी !!

फिर चाहे वो  किसी के संग भी भरे  अपनी उड़ान 
उसकी हर उड़ान में है मेरी  अपनी  शान !!

राधा से भी बोले सब तेरा कान्हा छलिया है
छेड़े हर गोपी को ऐसा रास रचिया  है !!
तो बोली राधा तुम चाहते हो उससे मिलने वाले सुख को
मैंने चाहा  है उसके हर दुःख को
जो वो रहे हर गोपी के संग
मन में उठती एक ही तरंग
जब मैं ही कान्हा की हो गयी
तो उससे जुडी  हर प्रीत से कैसे होगी जंग
हम  तो बंधे है एक दूजे से ऐसे
जैसे डोर और पतंग !!

फिर चाहे वो  किसी के संग भी भरे  अपनी उड़ान 
उसकी हर उड़ान में है मेरी  अपनी  शान !!

पंजाबी में 
ਕੋਈ ਆਖੇ ਕਮਲੀ ਤੇ ਕੋਈ ਸ਼ੁਦਾਈ,ਮੈਂ ਤਾਂ ਯਾਰ ਲਈ ਆਪਣਾ ਆਪ ਗਵਾਈ !!
ਏਕ ਓਹੀ ਖੁਦਾ ਹੈ ਗਵਾਹ ਮੇਰਾ ਜੋ ਜਾਣੇ ਨਾ ਹੈ ਪ੍ਰੀਤ ਪਰਾਈ !!

ਬਣ ਹਵਾਂ ਉਡਦੀ ਆਂਵਾ  ਜੇ ਕਦੇ ਯਾਦ ਮੇਰੀ ਆਈ  !

ਕੋਈ ਬੀਤੇ ਨਾ ਪਲ ਜਦ ਹੋਵਾਂ ਜੋਗੀ ਦੀ ਸ਼ਰਨਾਈ !!
ਨੀ ਮੈਂ ਜਾਣਾ ਜੋਗੀ ਦੇ ਨਾਲਮੈਂ ਦੇਂਦੀ ਹਾਂ ਦੁਹਾਈ !!

ਏਕ ਪਲ ਵੀ ਉਸ ਤੋਂ ਦੁਰ ਨਾ ਜਾਵਾਂ 
ਓਹੋ ਚਾਨਣ ਤੇ ਮੈਂ ਉਸਦੀ ਪਰਛਾਈ !! 

ਨਾ ਲਗਣ ਦਵਾਂ ਗਰਮ ਹਵਾਂਵਾ 

ਮੈਂ ਮਰ ਜਾਵਾਂ ਉਸਦੀ ਆਈ !!!

Saturday 19 January 2013

GIFT - Every Second of My Life













अखियों से दूर, पर दिल के सदा है पास
तेरा  एहसास ही है, मेरे लिए सबसे  खास
याद करूँ तुझे अपने हर श्वास- श्वास !
आज के इस मुबारक दिन
क्या तोहफा दे सकती हूँ तुम्हें
अपना हर पल, हर क्षण अर्पित करती हूँ तुम्हें !!

जब भी सोचा तो कुछ न समझ आया
दिल में बस यही हर बार  ख्याल आया
जो मीरा ने खुद को गवां मोहन को पाया !
ऐसे ही मैं तेरी रूह में समाई
बस तू ही तू , मैं कहीं नहीं
बना सांसों की माला, सिमरू  तेरा नाम
ऐसा अपना हर पल, हर क्षण अर्पित करती हूँ तुम्हें !!


जब से किया तूने इस दिल में निवास
इस आम के लिए  हो  गए सबसे खास !
तेरी खुशियों को जोडूं, न आने दूँ कोई गम पास 
बदले में न है कोई उम्मीद और न है  कोई आस !!
आज के इस खास दिन
बन कर तेरी सांसों के हिसाब की मुनीम
हर पल, हर क्षण बेफिक्र करती हूँ तुम्हें !!!

याद आता है वो पल जब मैं तुमसे मिलने आई
तुम्हें लगा ये बांवरी कोई नयी आफत ले आई !
भले ही मैंने न कहा तुमसे कुछ
मेरी ख़ामोशी तेरे दिल को दस्तक दे आई
बिछड़ने जो लगी तुमसे तो मेरी अखियाँ भर आई !!
न जाने कैसा चढ़ा रंग, अपने सूफी की हो गई मैं मलंग
ऐसी  कमली भला क्या दे सकती है तुम्हें
बन तेरी परछाई, हर पल साथ देने  का वायदा देती है तुम्हें !!!

हर रोशन दुआ,   करे दूर अँधेरा
आज के दिन सज गया नया सवेरा
मेरा मन भी तेरा, तन भी तेरा
तेरा ही सब कुछ  समर्पित करती हूँ तुम्हें !
और भला क्या तोहफा दे सकती हूँ तुम्हें
अपना हर पल हर क्षण अर्पित करती हूँ तुम्हें !!!

तुझ से ही तो मेरे जीवन का सार है
तुझ संग ही तो जाना गगन के उस पार है !
जैसे बिना जल के मछली की न कोई कहानी है
गर करो जुदा मछली को पानी से
तो उसको खाने वाला भी करता पानी पानी है !!
तेरी मेरी यारी  भी तो  दुनियावी नहीं रूहानी है
तो और भला क्या तोहफा  दे सकती हूँ तुम्हें
ज़िन्दगी भर खुश रहे, दुआओं की  सौगात देती हूँ तुम्हें !!!

न जाने कब ख़त्म हो जाये ये सफ़र
जब तक होगा  दम ओ सांसो का असर
तेरे हर सपने को पूरा करने की खातिर
छोड़ेगी  न कोई कसर,
उड़ाने ज़िन्दगी की ये  हमसफ़र !
आज के इस मुबारक दिन
क्या तोहफा दे सकती हूँ तुम्हें
अपना हर पल, हर क्षण अर्पित करती हूँ तुम्हें !!!

तूने ओ ललारी, मुझ पे ये रंग कैसा लगाया
कोई दाग निंदा का मुझे छू भी ना पाया !
जब से मैं अपने यार की दीवानी हुई
लोग समझे मैं और भी सुन्दर  सयानी हुई !!
न देख पाए कि  ये मैं नहीं, मुझ में  तू है
छू कर मेरे मन को ऐसा पावन  बनाया
तेरे ही हर रंग निखर कर मुझपे  है  आया !!
न देखा है मैंने खुदा  को कभी
पर जब भी देखा तुझे, नूरे खुदा  का दीदार पाया !!!
इस खुदा  ए   यार को और भला क्या दे सकती हूँ
तेरे ही रंग में रंगती रहूँ, ऐसी रंगोली देती हूँ तुम्हें !!!!

तेरी इच्छा में अपनी इच्छा बनाती  रहूँ
तेरे सुख में नित सुख अपना पाती रहूँ !
जो एक पल भी भुलूँ  तो काफ़िर हूँ मैं
ये पल ही है मेरे पास तुझे देने के लिए
जितनी भी लिखी हैं, इन पलों में सांसे
बना उनकी तसबीह, हर पल सिमरे तुम्हें !!

हीरे को हीरे मोती भला क्या देता है कोई
जो अनमोल हो उसकी कीमत क्या दे सकता है कोई !
मेरी जीवन का ये चरखा, बना  है बस  खातिर तेरी
हर तंद पावां तेरे नाम दी, तुझ पे जायूं  मैं  बल्हारी
मुझ में मैं न हूँ अब बाकि, हो गयी हूँ  तेरी ही सारी !!
आज के इस मुबारक दिन
क्या तोहफा दे सकती हूँ तुम्हें
अपना हर पल, हर क्षण अर्पित करती हूँ तुम्हें !!!


रूह से रूह का प्यार , तेरे लिए कभी बंदिश न बने
जब भी चाहे, तेरी लिए एक नई  राह बने !
दुनिया का  हर रिश्ता शर्तों से बंधा है
अपने रूहानी यार को और कुछ नहीं
बस बेशर्ते मोहब्बत की आज़ादी  देती हूँ तुम्हें !!

खुद बढ़ कर  खुदा  ने  किया मुझ निमानी पे रहमों करम
जब भी भरनी चाही उड़ान, दिया तेरा साथ और सारा आलम
इस सफ़र के हर जाम को घूँट-घूँट पिए, जब तक हो दम कायम !
बन जोगी की जोगन खुद को समर्पित करती हूँ तुम्हें
और भला क्या तोहफा दे सकती हूँ तुम्हें
अपना हर पल हर क्षण अर्पित करती हूँ तुम्हें !!

ज़िन्दगी की डोर बंधी सांसों से
सांसे बंधी है पलों से
बिता हुआ पल और एक साँस की  कीमत
करोडो-अरबों  देकर भी वापिस ला सकता न कोई !
आज के इस मुबारक दिन
बस  यहीं कीमती तोहफा दे सकती हूँ तुम्हें
अपना हर पल, हर क्षण अर्पित करती हूँ तुम्हें !!!