Wednesday 23 July 2014

रूहानी प्यार का राज़





 










जब तू गाये  बन जाऊँ राग ख़माज
जो तू लिखे बन जाऊँ  तेरे अल्फ़ाज़
दुनिया को बताऊँ  रूहानी प्यार का राज़
तू मेरा खुदा, तेरी इबादत मेरी नमाज़

इस रूहानी प्यार में राँझे ने पहना जोगिया लिबाज़
मीरा ने दी गिरिधर को गली गली आवाज़
सोनी बनी  कच्चे घड़े की तैराकी की जांबाज़
दुनिया को बताऊँ  रूहानी प्यार का राज़
जहाँ ना होता है दुनियावी रस्मों का रिवाज़
ना आता ढंग से मुझे कोई काम काज
बुल्लेशाह यार दी कमली हो गई
भले रूठ जाए जग आज
कैसे करू शुकराना मेरे ख़ुदा यार का
जो इस कमली के सर का बना है सरताज
दुनिया को बताऊँ  रूहानी प्यार का राज़
कि जब मिट जाए सब राज़
तो है बस सच्चे इश्क़ की आगाज़