Friday 26 October 2012


    चार दिन ज़िन्दगी के ............... 
               बस यूँ ही चलते जाना है !!!!!!!!!!!



पहला दिन 


 













           

 
जब से मिली थी तुझ से, तब से तुझ को जाना है !!
जानू  मैं  कैसा ये  रिश्ता पुराना है !!!
जाना है तो बस इतना कि
 
तेरे संग यूँ ही चलते जाना है !!



दूसरा दिन 








 













     
तेरी आहट देती दस्तक मुझे है, ये कैसा अफसाना है !!
तेरी ख़ामोशी में छिपी हर बेचैनी को मैंने जाना है !
तेरे ग़मों का खज़ाना मुझे मिल जाए,
सकून  भरी खुशियाँ तुझे दे पाऊँ 
तो ज़िन्दगी का सफ़र साकार जाना है !!
जाना है तो बस इतना कि
तेरे संग यूँ ही चलते जाना है !!!

मन में उठती है एक ही तरंग
सांसे हो इतनी जो बीते तेरे संग !
इस जोगन को अपने जोगी के संग
बस यूँ ही चलते जाना है !!


तीसरा दिन 









 




जानू आने वाला कल,
आएगा या नहीं ऐसा पल
जब तू समझे मुझे अपना सम्बल!
फिर भी जाना है तो बस इतना कि
ज़िन्दगी के हर मुश्किल आसान सफ़र में
तेरे संग बस यूँ ही चलते जाना है !!


 
चौथा दिन 















खुद को गवां तुझ में अपना अक्स पहचाना है !
जो एक पल भी मुख मोडूँ,
तो गुन्हेगार खुद को माना  है !!
जानू  ये कितना रिश्ता पुराना है
जाना है तो बस इतना कि
बन तेरी परछाई
बस यूँ ही चलते जाना है !!!





एक दिन कट चूका है,  दूसरा दिन तेरे संग चलने के  एहसास से कट रहा है !! 
 इन्शा  अल्लाह !!! बाकी  के दो दिन यूँ ही कट जायेंगे एक दूजे के रंग में रंगे एक साथ चलने से ..................


है ना !!!!!!!!!!!!!!!

17 comments:

  1. आमीन...आपकी ख्वाहिशें पूरी हों|
    सुंदर भाव...सुंदर रचना
    शुभकामनाएँ!!

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  2. बेहद खुबसूरत रचना...
    उत्कृष्ट भाव लिए...
    मनभावन प्रस्तुति....
    शुभकामनाएँ....
    :-)

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  3. बहुत खूबसूरत और पाक अहसास ...
    शुभकामनाएँ!

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  4. न जानू आने वाला कल,
    आएगा या नहीं ऐसा पल
    जब तू समझे मुझे अपना सम्बल!
    फिर भी जाना है तो बस इतना कि
    ज़िन्दगी के हर मुश्किल आसान सफ़र में
    तेरे संग बस यूँ ही चलते जाना है!

    मन के अप्रतिम भावों को दर्शाती आपकी यह कविता अच्छी लगी। मेरी कामना है कि आप सर्वदा सृजनरत रहें। धन्यवाद।

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  5. बहुत खूबसूरती से लिखें है ज़िंदगी के चार दिन ...

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  6. फिर भी जाना है तो बस इतना कि
    ज़िन्दगी के हर मुश्किल आसान सफ़र में
    तेरे संग बस यूँ ही चलते जाना है !!

    ...बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...बधाई!

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  7. खुद को गवां तुझ में अपना अक्स पहचाना है !
    जो एक पल भी मुख मोडूँ,
    तो गुन्हेगार खुद को माना है !!
    न जानू ये कितना रिश्ता पुराना है
    जाना है तो बस इतना कि
    बन तेरी परछाई
    बस यूँ ही चलते जाना है !!!
    ...बेहद खूबसूरत अहसास है ...

    एक पुराना शेर है ...किसी शायर का
    सब कुछ खुदा से मांग लिया तुझको मांगकर
    उठते नहीं हैं हाथ मेरे ...इस दुआके बाद !

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  8. बहुत सुन्दर रचना ......

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  9. तेरी ख़ामोशी में छिपी हर बेचैनी को मैंने जाना है ........bahut -hi betareen pankti ....

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  10. सुभानाल्लाह...........जिंदगी कर कदम बदलती चलती है और हर रंग खुबसूरत है इसका.....बहुत खूब।

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  11. हूँ....
    एक दिन कटने की बधाई ....:))

    दुसरे दो दिनों के लिए दुआएं हैं हमारी .....

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  12. आपकी *चार दिन * *क्यूँ* और अनुवादित चिड़ियों की उड़न को पढ़ा बहुत ही खुबसूरत

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  13. जिंदगी के चार दिन हंसी ख़ुशी चलते रहे और क्या चाहिए ..
    बहुत खूब !

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  14. किसी के संग चलते जाने में एक रवानगी होती है जिसमें जीवन आनंद का रहस्य छिपा है. सुंदर कविता.

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  15. बहुत शानदार।

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  16. आमीन ... बहुत ही गहरे एहसास लिए ... जीवन के रंग में प्रेम का संबल थामे यूं ही चलना तो जीवन है ...

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