Tuesday 30 April 2013

तेरे मेरे प्यार का अपना आशियाना !!
















मेरी ज़िन्दगी का मक्सद तुमसे है मैंने जाना !
जिस्म तो मिट्टी में मिल जाना, रूहानी एहसास
तेरा कई जनमों से है पुराना !!
इस अनोखे रिश्ते को रूह से है निभाना
साथ रहने का नहीं,  साथ चलने का
आ बनाए तेरे मेरे प्यार का अपना  आशियाना !!

मैं निमानी कमली ने य़ार को ख़ुदा माना !
यार ही मेरा दीन इमान, उसपे खुद को हार जाना !!
सदके जायूं  अपने यार पे,
जिसने मुझ कमली को अपने दिल मे दिया ठिकाना !
गवारा नहीं मुझे एक पल भी तुझ से दूर जाना
इस अनोखे रिश्ते को रूह से है निभाना
साथ रहने का नहीं,  साथ चलने का
आ बनाए तेरे मेरे प्यार का अपना  आशियाना !!

तोड़  के सारे सांसारिक बंधन
लाँघ आई   कुल की मर्यादा ,
तन  और मन से हो गई तेरी 
अब कुछ भी कहता रहे ये ज़माना
इस अनोखे रिश्ते को रूह से है निभाना
साथ रहने का नहीं,  साथ चलने का
आ बनाए तेरे मेरे प्यार का अपना  आशियाना !!



लोग पूछते मुझसे कब से इक दूजे को जाना
कैसे बतायूं  ये रूहानी रिश्ता जैसे राधा और कान्हा !
बिन बोले भी समझे, जो मन चाहे समझाना 
बन बांसुरी चाहूँ मैं तो  कान्हा के होंठों की हो जाना !!
इस अनोखे रिश्ते को रूह से है निभाना
साथ रहने का नहीं,  साथ चलने का
आ बनाए तेरे मेरे प्यार का अपना  आशियाना !!


पहले पहले प्यार का  पहला पहला एहसास  है
जिस्म तो महज़ इक ज़रिया है,
रूह से रूह के मिलन का एहसास सब से खास है
तेरा ये प्यार मुझे रब के करीब ले जाता है
क्यूंकि तेरा एहसास उसकी रहमत का विश्वास है !
तुझमें  खोने का एहसास ही सच्ची ख़ुशी का एहसास है !!
मेरी नस नस में तेरी रूह की खुशबू का बस जाना !!
तेरे प्यार के हरे रंग में  मेरा यूँ  खिल खिलाना
 तेरे प्यार के एहसास से मेरे मन का गुदगुदाना
मैं मैं ना रही, तू तू न रहे, 
आ बनाए तेरे मेरे प्यार का अपना  आशियाना !!


मैं हूँ तुम्हारी, तुम्हारा ही मेरा जीवन
तुझसे ही सम्पूर्ण, तू ही मेरा दर्पण !
तेरी याद में बरसे इन आँखों का सांवन !
तेरे महज़ ज़िक्र से खुशियाँ आए  मन आँगन !!
इक दूजे के हो गए हम, जब रूह में रूह का हुआ समाना !!
मैं मैं ना रही, तू तू न रहे, 
आ बनाए तेरे मेरे प्यार का अपना  आशियाना !!


 याद  आता है हर पल, जब कहते हो  कितनी पागल हो तुम !
लगता है ऐसे जैसे  इस  पागल को , कितना चाहते हो तुम !!
नहीं पता कितनी सांसे है, पर चाहूँ आखरी दम तेरी बाँहों में आना !!
जुबान से नहीं, ख़ामोश निगाहों का तेरा मुझ से कुछ कह जाना 
इक दूजे के हो गए हम, जब रूह में रूह का हुआ समाना !!
मैं मैं ना रही, तू तू न रहे, 
आ बनाए तेरे मेरे प्यार का अपना  आशियाना !!

12 comments:

  1. कैसे बतायूं ये रूहानी रिश्ता जैसे राधा और कान्हा ! very nice ...

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  2. याद आता है
    हर पल,
    जब कहते हो
    कितनी पागल हो तुम !
    सुन्दर
    बहुत सुन्दर

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  3. बहुत सुंदर भाव ....शुभकामनायें

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  4. प्रेम का सच्चा अहसास ऐसा ही होता है..जब होता है तो उसके सिवा कुछ नजर नहीं आता...

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  5. सुभानाल्लाह.........इश्क की ये पाकीजगी 'हीर' तक पहुंची है......सलाम अर्ज़ है ।

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  6. मैं मैं ना रही, तू तू न रहे,
    आ बनाए तेरे मेरे प्यार का अपना आशियाना !!
    .. ..प्यार में एकाकार होना ही प्यार की सार्थकता छुपी है .... बहुत सुन्दर

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  7. Rishta dil se dil ke aitbaar ka...
    zinda hai hami se naam pyaar ka :)

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  8. तेरे मेरे प्यार का कैसा है ये बंधन अनजाना
    मैंने नहीं जाना तूने नहीं जाना ....

    इन भावनाओं पर कुर्बान जाऊं ....:))

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  9. साथ रहने का नहीं, साथ चलने का
    आ बनाए तेरे मेरे प्यार का अपना आशियाना !!

    ....बहुत ख़ूबसूरत भावमयी रचना..

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  10. आपने लिखा....हमने पढ़ा
    और भी पढ़ें;
    इसलिए आज 14/05/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    पर (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में)
    आप भी देख लीजिए एक नज़र ....
    धन्यवाद!

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  11. बहुत सुन्‍दर रचना, आपका बहुत बहुत आभार
    हिन्‍दी तकनीकी क्षेत्र कुछ नया और रोचक पढने और जानने की इच्‍छा है तो इसे एक बार अवश्‍य देखें,
    लेख पसंद आने पर टिप्‍प्‍णी द्वारा अपनी बहुमूल्‍य राय से अवगत करायें, अनुसरण कर सहयोग भी प्रदान करें
    MY BIG GUIDE

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  12. ख़ूबसूरत, भावमयी व सुन्‍दर रचना

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