इस कमली को उस सोहने ने
दिल में दिया बिछौना !!
तन मस्जिद पे जो ओढी
तेरी हरी चादर
मैं हो गई बस तू !!
मैं हो गई बस तू !!
ना मंदिर मस्जिद ना गिरज़ा गुरुदवारा
यार में दिखता सच्चे रब का नज़ारा !
ज़मीन से फ़लक तक चमके तेरा ही सितारा
बिन तेरे सजदे जीना एक पल भी न गवारा !!
जब खुदी मिटा के मेरे खुदा ने मुझे सवारा
तो मैं हो गई बस तू !!!
जब इतना अच्छा लिखती हो तो .....
ReplyDeleteकहाँ भरी उड़ान तूने और
कहाँ हो गई थी तू उड़न छू .....
शुभकामनायें !खुश रहो !
वाह ! वाह ! वाह !
ReplyDeleteराँझा राँझा करते करते मैं आप। .............
प्रेम में बस तू ही तू होता है या रब होता है ...
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteप्रेम की गहराइयों में डूब के लिखी रचना ...
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